THE UNIVERSE―BIG BANG & DARK MATTER

पृथ्वी हमारे सौरमंडल का अंग है । सौरमंडल आकाशगंगा 'मंदाकिनी' (milky way) की मध्यवर्ती घूर्णनशील भुजा का एक अंश है । हमारी मंदाकिनी की तीन घूर्णनशील भुजाओं में असंख्य तारे और सौर परिवार हैं । मंदाकिनी सदृश कई आकाशगंगायें मिलकर आकाशगंगा का पुंज (supercluster of galaxies) बनाती हैं । आकाशगंगा के सभी पुंजों को सम्मिलित रूप से ब्रह्मांड (universe) कहते हैं ।

Expansion Of The Universe

अमेरिकी खगोलविद् Edwin Powell Hubble ने बताया कि आकाशगंगाओं के बीच की दूरी बढ़ रही है । जैसे-जैसे आकाशगंगाओं के बीच की दूरी बढ़ रही है वैसे-वैसे इनके दूर जाने की गति तेज होती जा रही है । इसकी तुलना हम एक फूलते गुब्बारे से कर सकते हैं । अगर हम इस गुब्बारे पर कुछ छोटे-छोटे बिंदु बना दें तो जैसे-जैसे गुब्बारा फूलता जाएगा वैसे-वैसे ये बिंदु भी एक दूसरे से दूर होते जाएंगे । अब अगर इन बिंदुओं को मंदाकिनी मान लें तो गुब्बारे यानी ब्रह्मांड के प्रसरण के साथ-साथ मंदाकिनियों के बीच की दूरी भी बढ़ती जाएगी ।
सभी आकाशगंगायें पृथ्वी से दूर जा रही हैं । विश्व का प्रसार हो रहा है । इस प्रकार यदि हम कालक्रम में पीछे देखें तो ये आकाशगंगायें आज की अपेक्षा आपस में पास-पास थीं तथा लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व समूचे ब्रह्मांड की सभी आकाशगंगाओं का पदार्थ एक बिंदु पर था जिसे वैज्ञानिक विलक्षणता का बिंदु (point of singularity) कहते हैं, जिसके विस्फोट से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई । इस विस्फोट को महाविस्फोट (big bang) कहा जाता है ।

The Big-Bang Theory

इस सिद्धान्त के प्रतिपादन Georges Henri Joseph Édouard Lemaître (1894-96) ने ब्रह्मांड, आकाशगंगाओं तथा सौरमंडल की उत्पत्ति के लिए किया था । बाद में Robert Wagner (1967) ने इस सिद्धान्त की वैज्ञानिक व्याख्या प्रस्तुत की ।
वह अवस्था जब सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक गर्म एवं सघन बिंदु पर आज से 15 अरब वर्ष पूर्व केंद्रित था । अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण बिंदु का आकस्मिक महाविस्फोट हुआ जिसे ब्रह्मांड विस्फोट (cosmic explosion) या बिग-बैंग कहते हैं । इसके साथ ही समय, स्थान एवं पदार्थ की उत्पत्ति हुई ।
विस्फोट के अतिअल्प समय में बिंदु एक बहुत बड़े गर्म गोले में परिवर्तित हो गया जिसका व्यास (diameter) लगभग 20 अरब मील था । जब ब्रह्मांड की आयु एक सेकंड की हुई और उसका तापमान कुछ कम हुआ तो मूलकणों (fundamental particles) तथा प्रतिकणों (antiparticles) की उत्पत्ति हुई, जिनके द्वारा आगे चलकर परमाणु (atom) का निर्माण हुआ । विस्फोट के एक मिनट बाद ब्रह्मांड और भी विस्तृत होकर एक बड़ा ताप नाभिकीय रिएक्टर (giant thermonuclear reactor) हो गया । परिणामस्वरूप हाइड्रोजन नाभिक से इस अवस्था में हीलियम परमाणु के नाभिक (nucleus) बनें । कुछ अरब वर्ष पश्चात् हाइड्रोजन और हीलियम के बादल संकुचित होकर आकाशगंगाओं एवं तारों का निर्माण करने लगे बिग-बैंग के लगभग 10.5 अरब वर्ष पश्चात् लगभग आज से 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल का विकास हुआ, जिसमें ग्रहों तथा उपग्रहों आदि का निर्माण हुआ ।

96% Of The Universe― DARK MATTER

आज आकाशगंगायें सुपरक्लस्टर के रूप में पुंजीभूत हैं । ये पुंजीभूत आकाशगंगायें एक दूसरे पुंजों से 100 से 400 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर हैं । इनके मध्य का स्थान काला है । अपने निर्माण काल के समय से प्राप्त आवेग के कारण इनके मध्य की दूरी बढ़ती जा रही है ।
Amsterdam में विश्व के भौतिकशास्त्रियों का सम्मेलन सितंबर 2007 में आयोजित हुआ । सम्मेलन में बड़ी संख्या में शोधपत्र पढ़े गए । सबसे विशद चर्चा हुई भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता James Watson Cronin (1980) के डार्क मैटर और डार्क एनर्जी संबंधी खोज पर । इस अन्वेषण के अनुसार, ब्रह्मांड का 96% भाग डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के ऐसे रूपों से निर्मित है, जिसके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते हैं । हमें गलतफ़हमी है कि हम ब्रह्मांड के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, परन्तु सत्य तो यह है कि हम इसके केवल 4% भाग से ही परिचित हैं ।
शोध में बताया गया है कि ब्रह्मांड के नवीनतम मॉडल के अनुसार कॉस्मिक ऊर्जा का 73% भाग Dark energy तथा 23% Dark matter के रूप में है । ये पदार्थ के ऐसे छुपे हुए और अनजाने रूप हैं जो अंतरिक्ष को बांधे रखने के साथ-साथ इसमे हो रहे अनवरत् विस्तार को भी गति देते हैं । शेष 4% में सामान्य पदार्थ अणु परमाणु एवं दृश्य विश्व आता है ।

3D Map Of Dark Matter

अमेरिका के Pasadena स्थित California institute of technology के 71 वैज्ञानिकों एक दल ने Prof. Richard के नेतृत्व में, रहस्यमय डार्क मैटर का बड़े पैमाने पर त्रिआयामी (3-डी) नक्शा तैयार करने में सफलता प्राप्त की है । इसका प्रकाशन शोध पत्रिका 'Nature' में हुआ है । नक्शा तैयार करने के लिए शोध-दल ने gravitational lensing तकनीक की सहायता ली है । यह नक्शा hubble space telescope के cosmic evolution survey के दौरान लिया गया ।
पहली नज़र में यह तस्वीर डार्क मैटर के संबंध में बनी अब तक की धारणाओं के अनुरूप दिखती है परन्तु सूक्ष्मता से देखने पर इसमें नवीनता दिखाई पड़ती है । वैज्ञानिकों को डार्क मैटर के संबंध में नई जानकारी मिलने की उम्मीद है । इसके अध्ययन के बाद ही नई जानकारी सामने आएगी ।

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