PLASTIC PRESENT & FUTURE

प्लास्टिक एक ऐसा द्रव्य है जो वर्तमान दैनिक जीवन का एक बेहद ज़रूरी अंग बन गया है । वर्तमान की शायद ही कोई ऐसी सामग्री होगी जिसका संकुलन(packaging) गैर प्लास्टिक द्रव्य से होता हो । जल की शीशी से लेकर खाने की सामग्री तक, विद्युत उपकरणों से लेकर दवाओं के संकुलन तक .. हर संकुलन में प्लास्टिक का प्रतिशत सर्वाधिक है । इसमें प्लास्टिल के थैले सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं ।
सर्वप्रथम संश्लेषित बहुलक(पॉलीमर) का अविष्कार जॉन वेस्ले हायट ने 1869 ईसवी में किया था । असल में उस वक़्त बिलियर्ड्स (पूल) के खेल की लोकप्रियता ज़ोरों पर थी और खेल की सामग्री का निर्माण हाथी दांत से किया जाता था, जिस कारण उसकी संख्या में कमी आने लगी .. इस समस्या के निवारण के लिए ऐसे कृतिम योगिक की खोज प्रारम्भ हुई जिसे मन चाहा आकार दिया जा सके, जो हाथी के दांत का स्थान ले सके .. इस कार्य में वेस्ले को सफलता मिली । यह एक क्रांतिकारी खोज थी क्योंकि मानव प्रकृति के आगे विवश नहीं था । वह लगभग ऐसे पदार्थ का संश्लेषण कर चुका था जो सम्पूर्ण रूप से गैर प्राकृतिक था ।

प्लास्टिल की समस्याएँ

जैसा कि हम प्रकृति से कभी छुटकारा नहीं पा सकते .. गैरप्राकृतिक प्रकृति का होना ही इसकी सबसे बड़ी खामी थी जो वर्तमान में बड़े पैमाने पर दृष्टिगोचर है ।
बहुलक एक प्रकार की श्रृंखला होती है तत्वों की' जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सिजन आपस में एकल बंधों से संलग्न होते हैं । यह अधात्विक होता है इसलिए ऑक्सीकरण का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है― इसमें जंग नहीं लगती, इसका विघटन किसी धातु की तरह नहीं होता है.. चूंकि यह एक अप्राकृतिक योगिक भी है, अतः प्राकृतिक रूप से विघटन में इसे हज़ारों वर्ष लग जाते हैं क्योंकि अपघटन के कारक इसे प्रभावित करने में विवश हैं । इस बहुलक का दहन पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व के लिए खतरा सिद्ध हो सकता है क्योंकि इसके दहन से असंख्य जहरीली गैसों का निर्माण होता है जो धरती के वायुमंडल और पारिस्थितिकी को नष्ट कर सकती हैं ।
जनसंख्या बढ़ने के साथ साथ प्लास्टिक की खपत भी बढ़ती गयी है जिससे इसके उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि हुई है । नवीन शोधों के द्वारा समय-समय पर इसके नवीन उपयोगों तथा नए किस्मों के प्लास्टिक का संश्लेषण होने के कारण इसका उत्पादन निरंतर बढ़ता जा रहा है ।
विघटन दुरूह होने के कारण लाखों टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में बहाया जा रहा है, जिस कारण सागर जल के प्रदूषण में वृद्धि हो रही है । एक अनुमान के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 80 लाख प्लास्टिक के टुकड़े सागरों में बहा दिए जाते हैं जिससे इन सागरों में कई वर्ग किलोमीटर के प्लास्टिक कचरे के टापू का निर्माण हो गया है । वर्तमान में सागरों में मौजूद कुल प्लास्टिक की मात्रा लगभग 2,69,000 टन है । इस कारण समुद्री परिस्थितिकी तंत्र को बेहद क्षति का सामना करना पड़ रहा है ।
दुर्भाग्य से विश्व में प्लास्टिक का प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष औसत उपयोग विकसित देशों में विकासशील देशों की तुलना में अधिक है । उदाहरण के लिए भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले विकासशील देश में प्लास्टिक की खपत महज 11kg है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में यही 109kg तक पायी जाती है ।
जल के साथ-साथ थलीव जीव भी प्लास्टिक के दुष्परिणाम से अछूते नहीं हैं । कई जानवर, खासकर मवेशी, प्लास्टिक थैलों (जो जैविक कचरे के साथ मिले जुले रहते हैं) को गलती से निगल लेते हैं । यह उनकी आंतों में फस जाता है और उनकी अतुलनीय पीड़ा के साथ मृत्यु हो जाती है । एक ऐसी ही लेखक के दृष्टांत (exemplified) घटना की तस्वीर निम्नवत है―


प्लास्टिक के दुष्परिणाओं को रोकने के उपाय

● दैनिक जीवन में प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना
● कचरे से प्लास्टिक को विलगित(Detach) करना
●प्लास्टिक के दहन के विपरीत भूमि में दफन करना
● प्लास्टिक थैले के उपयोग को निषेध कर देना
● धरती और इसके जीवों के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करना
● प्लास्टिक का अधिक से अधिक पुनरावृत्तिकरण (recycle) करके उपयोग करना
● प्लास्टिक के विकल्पों की तलाश करना
● शिक्षित, जिम्मेदार तथा नैतिकता से सराबोर समाज का निर्माण करना

लेखक का मत― यदि 21वीं सदी को प्लास्टिक का युग कहा जाय तो इसमें कोई अतिसंयोक्ति न होगी । हम चारो ओर से प्लास्टिक से घिरे हुए हैं । टूथब्रेश से लेकर कलम तक .. दैनिक जीवन की ज़रूरी लगभग हर दूसरी वस्तु में कहीं न कहीं प्लास्टिक मौजूद है । इस दशा में हम इस ज़रूरी किन्तु खतरनाक बहुलक से पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं । हमें इसके लिये विकल्प तलाशने होंगे । स्वंय को अनुशासित करके इसके उपभोग पर पाबंदी लगानी होगी । प्लास्टिक के कचरे को अधिक से अधिक पुनः उपयोग में लाना होगा । ऐसी व्यवस्था विकसित करनी होगी जिससे इसका मिश्रण मवेशियों तथा मछलियों के भोजन तक न फैले, जिस कारण वे अकाल, काल की गर्त में न समायें । इन सभी शर्तों के बावजूद हम इस युग (प्लास्टिक) में काफी आगे आ गए हैं अतः नई दिशाओं को ढूढने में अभी लंबा वक़्त लगेगा ।

Sources

The History of Plastic
Materials Corrosion
Plastic Pollution Facts Figures
Plastic Consumption

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

THE UNIVERSE―BIG BANG & DARK MATTER